बिहार में वोटिंग के ऐलान के साथ ही महाभारत शुरू! मुख्य चुनाव आयुक्त की मुस्कान में क्या छुपा है? राहुल गांधी के तीखे आरोपों के बीच जब मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार मुस्कुराए तो पूरा मीडिया रूम ठिठक गया | क्या यह मुस्कान एक जवाब थी या आने वाले सियासी भूकंप का इशारा?
बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में वोटिंग का ऐलान हो चुका है, और इसी के साथ चुनाव आयोग (CEC) ने बड़े सवालों पर धमाकेदार जवाब दिए हैं! सबसे बड़ा सस्पेंस है राहुल गांधी के SIR लिस्ट पर आरोपों का मामला | CEC ज्ञानेश कुमार ने इन आरोपों पर सिर्फ मुस्कुराते हुए कहा कि 69 लाख अयोग्य नाम (मृत, डुप्लीकेट, फर्जी) काटे गए हैं |
लेकिन, सबसे चौंकाने वाला ऐलान आया फर्जी वोटिंग को लेकर! CEC ने साफ कर दिया कि बूथ पर बुर्कानशीं (मुंह ढंके) वोटर्स की पहचान के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ज़रूरत पड़ने पर जाँच करेंगी! यानि अब वोट डालने वालों की पहचान पर कोई रहस्य नहीं रहेगा | उन्होंने बताया कि बिहार की मतदाता सूची से 69 लाख फर्जी नाम काटे जा चुके हैं, जिनमें मृतक, डुप्लिकेट और गैर-नागरिक शामिल थे | यह कड़ा फैसला चुनाव की पारदर्शिता पर उठे हर सवाल को शांत करने का आयोग का मास्टरस्ट्रोक है |
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह कदम निष्पक्षता की दिशा में सुधार है या आने वाली सियासी लड़ाई की नई शुरुआत? जब राहुल गांधी ने SIR लिस्ट पर सवाल उठाया, तो CEC का सिर्फ एक जवाब था राजनीतिक उथल-पुथल पर हम ध्यान नहीं देते |
अब 6 नवंबर को जब बिहार में पहला वोट गिरेगा, तब तय होगा क्या यह मुस्कान लोकतंत्र की मजबूती की थी या उसकी अगली परीक्षा की शुरुआत? क्या आपको लगता है कि बुर्के में पहचान की जाँच से फर्जी वोटिंग रुकेगी?



