यह विश्वास का सैलाब है या चमत्कार का रिकॉर्ड? चित्तौड़गढ़ के कृष्णधाम श्री सांवलियाजी सेठ मंदिर में इस बार जो हुआ, उसने पूरे मेवाड़ को हैरान कर दिया। भंडार खुलते ही जैसे श्रद्धा की बाढ़ आ गई—और जब आखिरी राउंड की गिनती खत्म हुई, तो सामने आया एक ऐसा आंकड़ा जिसने पूरे इतिहास को बदल दिया। ₹51 करोड़ 27 लाख 30 हजार 112 रुपए!
यह सिर्फ दान नहीं, यह भावों का महासागर है। और suspense तो तब बढ़ गया जब पता चला कि भक्तों ने सिर्फ नकद ही नहीं, बल्कि 1 किलो से ज्यादा सोना और 207 किलो से अधिक चांदी भी चढ़ाई है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि इस बार रिकॉर्ड कई गुना टूट गया? क्या भक्तों की संख्या बढ़ी थी या आस्था का कोई छिपा रहस्य काम कर रहा था?
19 नवंबर को जब भंडार खोला गया, किसी ने नहीं सोचा था कि पहला ही राउंड 12 करोड़ 35 लाख निकाल देगा। जैसे ही यह खबर फैली, पूरे क्षेत्र में हलचल मच गई—क्या इस बार दान अपने चरम को छूने वाला है? अमावस्या के कारण गिनती रुकी, भीड़ बढ़ती गई, और लोगों में यह उत्सुकता और गहरी होती गई कि अगला राउंड कितना रिकॉर्ड तोड़ेगा। दूसरे राउंड में 8 करोड़ 54 लाख, तीसरे में 7 करोड़ 8 लाख 80 हजार, चौथे में 8 करोड़ 15 लाख 80 हजार… जैसे-जैसे रकम बढ़ती गई, एक ही सवाल हवा में तैर रहा था—आखिर अंतिम आंकड़ा कहाँ जाकर रुकेगा?
फिर आया वह पल, जब पांचवें राउंड के बाद कुल चढ़ावा 40 करोड़ पार कर गया। और अंतिम राउंड में मिले 41 लाख 01 हजार 543 रुपए ने इस इतिहास को हमेशा के लिए स्वर्णाक्षरों में लिख दिया। लेकिन इस पूरी कहानी का सबसे भावुक हिस्सा वह आस्था है, जो इस मंदिर की प्राचीन मान्यताओं से बंधी है। वह कथा, जिसमें भृगु ऋषि ने भगवान विष्णु के सीने पर चरण रखा था, और भगवान ने उल्टा ऋषि के पैर पकड़कर क्षमा मांगी—यही विनम्रता, यही प्रेम, यही शक्ति आज भी भक्तों के दिल में उतनी ही गहरी है।
शायद इसी भाव ने इस साल चढ़ावे को सिर्फ दान नहीं, बल्कि एक आस्था का रिकॉर्ड बना दिया।



