दोस्तों… ज़रा सोचिए! जिस प्याज ने कुछ महीने पहले आम लोगों की आंखों में आंसू ला दिए थे, वही आज किसानों की आंखों से खून के आंसू निकलवा रहा है! मंडियों में प्याज के दाम इतने नीचे गिर गए हैं कि अब वो सिर्फ 1 रुपये किलो पर आ गया है! हाँ, आपने सही सुना — सिर्फ एक रुपये किलो!
जहां मेहनत, पसीना और उम्मीदें सब झोंक दीं — वहीं अब न मंडी का किराया निकल रहा है, न लागत का हिसाब! किसानों की हालत ऐसी कि कह रहे हैं — इतने दाम में तो मवेशियों को खिला दें प्याज! आख़िर क्या वजह है इस गिरावट की? कौन है जिम्मेदार इस हालात का? और सबसे बड़ा सवाल — क्या सच में किसान की आय दोगुनी का सपना अब आंसुओं में बह गया है…? आईए, आज इसी सच्चाई की परतें खोलते हैं!
देश के कई हिस्सों में जहां प्याज के दाम सामान्य चल रहे हैं, वहीं कई प्रदेशो में हालात बेकाबू हो चुके हैं! कई मंडियों में प्याज की कीमत 1 रुपये किलो तक जा पहुंची है! जी हां, आपने सही सुना — सिर्फ ₹1 किलो!
अब ज़रा सोचिए, एक किसान जिसकी महीनों की मेहनत, पानी, खाद, बीज और मजदूरी — सबकुछ इसमें लगा… लेकिन मंडी में पहुंचते ही उसे मिलते हैं सिर्फ 1.70 रुपये प्रति किलो! और ऊपर से ट्रांसपोर्ट, खाना-पीना, किराया — सब मिलाकर घाटा ही घाटा!
किसान बब्बू मालवी का दर्द सुनिए — वो कहते हैं, एक बीघा में प्याज बोया था, 6-7 क्विंटल प्याज निकला… लेकिन मंडी में भाव सुनकर होश उड़ गए। आज प्याज का भाव 1.99 रुपये किलो है — मतलब 2 रुपये भी नहीं! मंडी आने का खर्च भी पूरा नहीं होता! अब सवाल ये उठता है — आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?
किसान भोपाल सिंह सिसोदिया बताते हैं कि वो 7 क्विंटल प्याज लेकर मंदसौर मंडी पहुंचे… उन्हें मिला — ₹170 प्रति क्विंटल! यानी 1.70 रुपये किलो! बिक्री के बाद जेब में कुछ नहीं बचा… उल्टा खर्चा बढ़ गया! उनका कहना है — इतने दामों में प्याज बेचने से अच्छा है कि इसे जानवरों को खिला दो! सोचिए ज़रा… जिस प्याज की वजह से कभी देशभर में राजनीति तक गरम हो जाती थी — आज वही प्याज किसानों के जले पर नमक छिड़क रही है।
अब राजनीति भी इस मुद्दे पर गरम है कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा — मध्य प्रदेश का किसान खून के आंसू रो रहा है! उनका कहना है कि मंडियों में प्याज 2 रुपये किलो बिक रहा है और किसान अपनी मेहनत औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के वादे पर भी तंज कसा और कहा — आय दोगुनी नहीं, बर्बादी चौगुनी हो गई है! रतलाम की कृषि उपज मंडी की तस्वीर शेयर कर कांग्रेस ने पूछा — क्या यही है किसानों की खुशहाली का वादा?
अब बड़ा सवाल ये है कि — क्या वाकई सरकार इस गिरावट पर काबू पा पाएगी? क्या किसानों को मिलेगा प्याज का सही दाम? या फिर ये प्याज का संकट आने वाले चुनावों में भी राजनीतिक आंसू बनकर बहेगा?
एक तरफ सरकार की नीतियां, दूसरी तरफ बाजार की मार… किसान बीच में पिसता जा रहा है। जहां महंगाई पर अंकुश की बात होती है, वहीं अन्नदाता अपनी उपज औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर है।
दोस्तों, ये कहानी सिर्फ प्याज की नहीं — ये कहानी उस किसान की है, जो हर दिन खेत में पसीना बहाता है ताकि देश का हर पेट भर सके… लेकिन जब उसकी बारी आती है — तो उसके हाथ में रह जाते हैं सिर्फ आंसू और अधूरी उम्मीदें।
अब वक्त है सोचने का — क्या हमारे किसान की मेहनत का इतना ही दाम है? क्या एक रुपये में उसकी तपती धूप, ठंडी रातें और मिट्टी की खुशबू बिक सकती है? या फिर अब वाकई इस देश को किसान के लिए कुछ बड़ा करना होगा… वरना कल ये प्याज सिर्फ मंडी में नहीं, हमारे ज़मीर में भी सड़ जाएगी!
तो दोस्तों, ये थी प्याज की कीमत का सच — जहां गिरे दामों ने किसानों को तोड़ दिया, और सवाल छोड़ गया — कब तक किसान ऐसे ही रोएगा? अगर आप भी चाहते हैं कि हर किसान को उसका हक़ मिले — तो इस वीडियो को शेयर करें और जागरूकता फैलाएं! क्योंकि आज किसान के आंसू सूखे… तो कल हमारी थाली भी सूनी हो सकती है!



