क्या आपने कभी सोचा था कि वो टीम जिसे हमेशा “अनलकी” कहा जाता था, एक दिन वर्ल्ड कप के फाइनल में गर्जना करेगी? जी हाँ, गुवाहाटी के मैदान ने बुधवार की दोपहर को इतिहास बनते देखा, जब लॉरा वोल्वार्ड्ट की अगुवाई में साउथ अफ्रीका ने इंग्लैंड को 125 रनों से कुचलकर पहली बार महिला वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बना ली। लेकिन इस जीत की कहानी सिर्फ स्कोरबोर्ड नहीं बताता — इसके पीछे छिपी है जुनून, जिद और जज़्बे की आग, जिसने इंग्लैंड की पूरी टीम को राख कर दिया।
मैच की शुरुआत में इंग्लैंड ने टॉस जीतकर साउथ अफ्रीका को बल्लेबाजी दी — मानो सोच लिया था कि शुरुआती झटका देकर मैच पर कब्जा कर लेंगे। पर किसे पता था कि यह फैसला उनके पतन की पटकथा साबित होगा। शुरुआत में साउथ अफ्रीका के तीन विकेट सिर्फ 3 रनों पर गिर गए — दर्शक सन्न, कमेंटेटर हैरान, और विरोधी टीम मुस्कुराई… लेकिन वहीं से जन्म ली एक ऐसी पारी जिसने इतिहास बदल दिया। कप्तान लॉरा वोल्वार्ड्ट ने 143 गेंदों पर 169 रन ठोक डाले — 20 चौके, 4 छक्के और एक ऐसा “कंट्रोल्ड अटैक” जिसने इंग्लिश गेंदबाजों को झुकने पर मजबूर कर दिया।
और फिर आईं मारिजैन कप्प — जिनके हाथों से निकली हर गेंद किसी “बुलेट” से कम नहीं थी। सिर्फ 7 ओवर में 5 विकेट, वो भी 30 रन देकर! इंग्लैंड की हालत ऐसी थी जैसे कोई तूफान घर उड़ा ले गया हो। शुरुआती 3 विकेट बिना रन के गिरना किसी बुरे सपने से कम नहीं था। नेट साइवर ब्रंट (64) और एलिस कैप्सी (50) ने कोशिश की, लेकिन जब तूफान कप्प का नाम हो, तो नाव चलती नहीं — डूब जाती है।
जब आखिरी विकेट गिरा और साउथ अफ्रीका की टीम झूमी, तो स्टेडियम में सिर्फ एक आवाज गूँजी — “This is history!”। वो जीत सिर्फ रन की नहीं थी, वो जीत सपनों, संघर्ष और आत्मविश्वास की थी। आज साउथ अफ्रीका ने साबित कर दिया कि कभी जो अंडरडॉग था, वही अब चैंपियन बनने की कगार पर है।



