Dussehra rally se garja Uddhav bjp shinde par hamla

दशहरा रैली से गरजा उद्धव: बीजेपी-शिंदे पर हमला, कौन असली शिवसैनिक?

महाराष्ट्र की सियासत में दशहरा रैली हमेशा ही शक्ति प्रदर्शन का अखाड़ा रही है, लेकिन इस बार उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच जुबानी जंग ने आग लगा दी है | सवाल यह है कि इस सोने और पीतल की लड़ाई में असली शिवसैनिक कौन है और महाराष्ट्र की जनता किसे चुनेगी?

पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी दशहरा रैली में शिंदे गुट को सीधे चुनौती देते हुए कहा, जो भाग गए वो पीतल हैं, और जो आज मेरे साथ खड़े हैं, वो सोना हैं | उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर ताबड़तोड़ हमले किए | उन्होंने बीजेपी की तुलना अमीबा से की, जो सिर्फ अपना फायदा देखता है | हिंदुत्व के मुद्दे पर घेरते हुए उद्धव ने पूछा, महाराष्ट्र में बीफ बैन और गोवा में दावतें? यह कैसा ढोंगी हिंदुत्व है?

उद्धव ने आरोप लगाया कि किसानों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है और मुंबई के बड़े प्रोजेक्ट का श्रेय बीजेपी चुरा रही है | उनके इन तीखे वारों ने कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन के लिए एक नई उम्मीद जगाई है, लेकिन क्या यह हमला शिंदे-फडणवीस सरकार की नींव हिला पाएगा? यही सबसे बड़ा सवाल है |

जवाब में, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे गुट ने भावनात्मक ‘काउंटर पॉलिटिक्स’ खेली. शिंदे ने कहा, असली शिवसैनिक वही है जो संकट की घड़ी में जनता के साथ खड़ा रहे | मंत्री उदय सामंत ने आदेश जारी किया कि शिवसैनिक रैली में न आएं, बल्कि प्रभावित किसानों के साथ रहकर दशहरा मनाएं | शिंदे गुट का यह कदम साफ दिखाता है कि वह खुद को बालासाहेब की असली विचारधारा का वाहक साबित करना चाहता है, जो राजनीति से पहले जनसेवा को रखती है |

यह शक्ति प्रदर्शन सिर्फ नारेबाजी नहीं है, बल्कि शिवसेना पर कब्जे की निर्णायक लड़ाई है | उद्धव का ‘सोना’ का दावा कितना मजबूत है और शिंदे का जनसेवा का नारा कितना असरदार होगा? यह आने वाले बीएमसी और लोकसभा चुनावों में पता चलेगा | फिलहाल, महाराष्ट्र की राजनीति में सस्पेंस बरकरार है कि यह दशहरा संग्राम सत्ता के समीकरणों को किस तरफ मोड़ेगा |

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