बिहार में चुनावी महाभारत से पहले वोटर भूकंप! 69 लाख नाम गायब, क्या चुनाव आयोग की इस ऐतिहासिक सफाई से सत्ता के समीकरण बदलेंगे? चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की फाइनल लिस्ट जारी कर दी है, जिसने राज्य के चुनावी परिदृश्य को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है | मंगलवार को जारी इन आंकड़ों ने सिर्फ संख्या नहीं बदली है, बल्कि यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में वोटर्स कहां गए?
SIR के बाद बिहार में कुल वोटर्स की संख्या अब 7.42 करोड़ हो गई है | लेकिन असली ड्रामा आंकड़ों के हेरफेर में है: फाइनल लिस्ट से करीब 69.29 लाख नाम कटे हैं—यह आंकड़ा किसी छोटे देश की आबादी से कम नहीं है! वहीं, 21.53 लाख नए, युवा चेहरे वोटर लिस्ट से जुड़े हैं, जो आगामी चुनावों की दिशा तय कर सकते हैं |
जून 2025 में 7.89 करोड़ वोटर्स से शुरू हुई इस सफाई प्रक्रिया के तहत, 7.24 करोड़ मतदाताओं से दोबारा फॉर्म भरवाए गए थे | लेकिन गायब हुए 69 लाख नामों के पीछे की कहानी चौंकाने वाली है: 22.34 लाख लोग मृत पाए गए, 36.44 लाख लोग स्थायी रूप से शिफ्ट हो चुके हैं, और 6.85 लाख लोग दो जगहों पर नाम दर्ज करवाकर चुनावी धोखाधड़ी कर रहे थे | यह फाइनल लिस्ट सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि आगामी चुनावों की दिशा और दशा तय करने वाली कुंजी है |
जहां पूरे राज्य में नाम कटे हैं, वहीं पटना जिले ने रिकॉर्ड 1.63 लाख नए वोटर्स को जोड़कर सबको चौंका दिया है | अब पटना में कुल मतदाता 48.15 लाख हो गए हैं | इसके विपरीत, सारण (छपरा) जैसे महत्वपूर्ण जिले में 2.24 लाख से अधिक वोटर्स के नाम कट गए हैं, जिससे वहां की चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं |
फर्जी, विदेशी और दोहराव वाले वोटर्स को हटाने के लिए 2003 के बाद पहली बार इतनी गहन SIR प्रक्रिया चलाई गई है | चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनावी तैयारियां अब और तेज होंगी | क्या इन 69 लाख गायब वोटर्स का असर राज्य की सत्ताधारी पार्टी पर पड़ेगा? आने वाले दिन बिहार की राजनीति में बड़े खुलासे लेकर आने वाले हैं!



