नेपाल में सोशल मीडिया पर लगे बैन और बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ Gen-Z का आंदोलन अब एक नए मोड़ पर आ गया है। जहाँ एक तरफ हिंसा पर काबू पाने के लिए सेना ने कमान संभाल ली है, वहीं दूसरी ओर देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे चल रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह नेपाल को इस संकट से बाहर निकाल पाएंगी?
इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने Gen-Z आंदोलनकारियों को एक खुला पत्र लिखकर सभी को चौंका दिया है। उन्होंने दावा किया है कि इस आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, जिसमें 30 लोगों की मौत हुई है, किसी “गहरी साजिश” का हिस्सा है। ओली का आरोप है कि सरकारी दफ्तरों में आग लगाना और जेल से कैदियों को छुड़ाना जैसी घटनाएँ पहले से ही तय थीं। उन्होंने युवाओं से कहा है कि वे इन साजिशों को समझें और देश की व्यवस्था को बचाने में मदद करें।
इस रहस्यमय मोड़ ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या ओली के दावे में कोई सच्चाई है? क्या इस आंदोलन के पीछे कोई और है? नेपाल में अब आगे क्या होगा? इन सभी सवालों के जवाब के लिए पूरा देश टकटकी लगाए इंतजार कर रहा है।
क्या सुशीला कार्की देश की नई उम्मीद बनेंगी या फिर यह राजनीतिक उथल-पुथल और भी गहरी होती जाएगी?



