आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जो आस्था, संघर्ष और चमत्कार से भरी है। एक युवा संन्यासी, जो किडनी की गंभीर बीमारी के कारण अपने आश्रम से निकाल दिया गया था, लेकिन उसी दर्द ने उसे बनाया लाखों लोगों का सहारा। ये कहानी है, अनिरुद्ध पांडेय की, जो आज ‘प्रेमानंद जी महाराज’ के नाम से जाने जाते हैं।
मध्यप्रदेश के सतना से ताल्लुक रखने वाले अनिरुद्ध पांडेय साधारण परिवार से थे। आध्यात्मिक रुचि के कारण वे कम उम्र में ही आश्रम से जुड़ गए और गुरु की सेवा में लग गए। लेकिन किस्मत ने उन्हें बड़ी परीक्षा में डाल दिया। अचानक उनकी किडनी की गंभीर बीमारी सामने आई। इलाज लंबा और महंगा था। आश्रम प्रबंधन ने यह कहकर उन्हें किनारे कर दिया कि अब सेवा संभव नहीं। बीमारी ने शरीर तोड़ा और आश्रम से निकाले जाने ने मन को झकझोर दिया।
लेकिन यही मोड़ बना उनकी जिंदगी का Turning Point। अनिरुद्ध पांडेय ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने ज्ञान, वाणी और गहरी आध्यात्मिक समझ को ही अपना सहारा बनाया। धीरे-धीरे लोग उनके प्रवचन सुनने लगे। उनकी वाणी में ऐसा असर था कि श्रोताओं के दिल तक पहुँच जाती।
आज वही अनिरुद्ध पांडेय, प्रेमानंद जी महाराज के नाम से जाने जाते हैं। सोशल मीडिया पर लाखों लोग उन्हें सुनते हैं, उनके सत्संगों में भीड़ उमड़ती है।
आख़िर एक बीमार युवक से करिश्माई संत बनने तक का ये सफर, उनके धैर्य की जीत है या फिर नियति का खेल?



