राजस्थान से लेकर दिल्ली और पंजाब तक, पूरा उत्तर भारत पानी में डूब रहा है। क्या यह सिर्फ़ मानसून है, या प्रकृति कोई चेतावनी दे रही है?
जी हाँ, राजस्थान में हाईवे गायब हो गए हैं, और उदयपुर की कॉलोनियां पानी में समा गई हैं। घरों की छतों पर फंसे लोग मदद का इंतजार कर रहे हैं। क्या ज़मीन के भीतर कुछ ऐसा हो रहा है, जिसकी हमें खबर नहीं?
दिल्ली में भी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है | यमुना का पानी शहर के कई इलाकों में भर गया है, और ताजमहल की बाउंड्री तक पानी पहुंच चुका है। सवाल यह है कि क्या हमारा इन्फ्रास्ट्रक्चर इस तरह की आपदाओं के लिए तैयार है, या फिर हम सिर्फ़ उम्मीद पर जी रहे हैं?
मध्य प्रदेश में भूस्खलन, पंजाब में 12 दिनों से जारी बाढ़ और जम्मू-कश्मीर में भी वैष्णो देवी यात्रा लगातार 12 दिनों से बंद है और सड़कों पर वाहन फंसे हुए हैं। क्या ये घटनाएं एक बड़े संकट की ओर इशारा कर रही हैं? आखिर कब थमेगा यह पानी का तांडव?
जहां एक तरफ लोग अपने घरों और जान-माल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विशेषज्ञ इस आपदा की असली वजहों को समझने की कोशिश कर रहे हैं। क्या यह सिर्फ़ भारी बारिश है, या फिर इसमें क्लाइमेट चेंज का कोई गहरा हाथ है?
इस जल प्रलय का अंत कब होगा और क्या हम इससे कोई सबक लेंगे? यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ है: प्रकृति के आगे इंसान की ताकत बहुत कम है।



