सोचिए… आपके जेब में रखा स्मार्टफोन ही अगर सरकार की नज़र बन जाए, तो कैसा लगेगा? आपकी हर कॉल, हर मैसेज… यहाँ तक कि आपका बैंक OTP भी कोई LIVE सुन रहा हो! क्या ‘संचार साथी’ सच में सुरक्षा है… या एक ‘SUPER SPY-APP’?”
देश में एक सवाल तेजी से उठ रहा है— क्या सच में सरकार अब हर नागरिक की डिजिटल साँस तक मॉनिटर करना चाहती है? वजह है नया संचार साथी मोबाइल एप। दावा— साइबर सुरक्षा के लिए बनाया गया। शक— यह हर मोबाइल पर निगरानी का नया हथियार है। और यही बात देशभर में बहस की आग भड़का रही है!
कल्पना कीजिए… एक ऐसा एप जो आपके कैमरे, माइक, लोकेशन, कॉल लॉग, मैसेज और कीबोर्ड तक पहुंच सके। यानी आपकी निजी चैट, फोटो, वीडियो, OTP, सबकुछ। एक्सपर्ट्स का दावा— ये परमिशन एक साधारण साइबर सुरक्षा एप को नहीं चाहिए। और यहीं से शुरू होता है शक कि कहीं ये आपकी जेब में रखा “ऑल-इन-वन स्पाई टूल” तो नहीं?
प्रियंका गांधी ने इसे “सीधा प्राइवेसी अटैक” बताया। जयराम रमेश बोले— यह डिजिटल डिक्टेटरशिप का नया चेहरा है। सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं— क्या सरकार इस एप के नाम पर हर कॉल सुन सकेगी? क्या आपका फोन अब आपका नहीं, बल्कि 24×7 ट्रैकिंग डिवाइस बन जाएगा?
सरकार का कहना है— यह सिर्फ फ्रॉड रोकने के लिए है। लेकिन परमिशन लिस्ट कुछ और कहानी बयां करती है। डेटा कहा जाता है “सुरक्षित रहेगा”… पर कितने समय तक? किसके पास? और किस समझौते के तहत?— इसका कोई साफ जवाब नहीं।
सबसे बड़ा सवाल यही है— क्या ‘संचार साथी’ आपको सुरक्षित रखने आया है… या आपकी डिजिटल आज़ादी पर अदृश्य पहरा लगाने? देश का हर यूज़र अब बस यही सोच रहा है— ये एप सुरक्षा है… या सरकारी सुपर-सर्विलांस? असली जवाब वक्त देगा… पर सवाल अभी से बड़े हैं!



