दोस्तों, एक ऐतिहासिक दिन, एक ऐतिहासिक फैसला… देश के नए CJI सूर्यकांत ने पद संभालते ही ऐसा झटका दिया है कि अब कोर्ट में “तारीख पर तारीख” वाली कहानी हमेशा के लिए खत्म होने जा रही है! 1 दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट की पूरी लिस्टिंग सिस्टम, अर्जेंसी सिस्टम और स्थगन प्रक्रिया—सब कुछ री–डिज़ाइन हो चुका है। क्या बदला है? कितना बदला है? और इसका सीधा असर आप पर क्या पड़ेगा? बस यही जानने के लिए बने रहिए!
CJI सूर्यकांत ने आते ही तीन गर्जन भरे फैसले सुनाए अब सीनियर एडवोकेट कोर्ट में जाकर मौखिक मेंशनिंग नहीं कर पाएंगे! बेल, अग्रिम जमानत, हैबियस कॉर्पस जैसे लिबर्टी केसेज़—48 घंटे के अंदर स्वतः लिस्ट होंगे। और हाँ… कोर्ट ने कड़ा संदेश दे दिया—”अनावश्यक तारीख नहीं मिलेगी!” ये कदम सुप्रीम कोर्ट को तेज़, पारदर्शी और बिल्कुल अनुशासित बनाने की दिशा में सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है।
अब मामला केवल तभी मेंशन होगा जब वह अगले दिन की मेंशनिंग लिस्ट में दर्ज होगा। सीनियर वकील को बाहर… और यंग जूनियर वकीलों को बड़ा मौका! इतना ही नहीं—जमानत याचिका दर्ज होते ही वकील को सरकार को Advance Copy देना अनिवार्य होगा। बिना उसके—ना वेरीफिकेशन, ना लिस्टिंग। यानी अब तेज़ न्याय, क्लियर प्रोसेस, और नो एक्सक्यूज़!
स्थगन लेना भी आसान नहीं रहेगा। सिर्फ शोक, गंभीर बीमारी या वाकई में कठोर अर्जेंसी—बस इन्हीं में मोहलत मिलेगी। आवेदन होगा ऑनलाइन, टाइम होगा फिक्स, और पुरानी स्थगन हिस्ट्री बतानी ही होगी!
इन चारों सर्कुलरों ने मिलकर संदेश साफ कर दिया है— “अब कोर्ट में तारीख नहीं… सिर्फ न्याय की गति चलेगी!” 1 दिसंबर—भारत के न्याय इतिहास में नया अध्याय… और तारीख पर तारीख का आखिरी दिन!



