भारत के इतिहास का सबसे बड़ा स्पोर्टिंग मोड़ आ चुका है—और इसकी गूंज दुनिया भर में सुनाई दे रही है।” स्कॉटलैंड के ग्लासगो से आज जो खबर आई, उसने न सिर्फ देश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया, बल्कि दुनिया को एक बार फिर याद दिला दिया कि भारत अब केवल खेलों में हिस्सा लेने वाला देश नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजनों की कमान संभालने की ताकत रखता है।
जी हां, भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी मिल गई है, और यह आयोजन होगा देश की स्पोर्ट्स कैपिटल बनते जा रहे अहमदाबाद में। यह घोषणा जितनी बड़ी है, उतनी ही महत्वपूर्ण भी—क्योंकि 20 साल बाद भारत में कोई विशाल मल्टी-स्पोर्ट्स इवेंट होने जा रहा है, और यह वही मंच है जिसने 2010 में नई दिल्ली को दुनिया के एलीट होस्ट देशों की सूची में खड़ा कर दिया था।
लेकिन इस खबर में एक छुपा हुआ ‘बड़ा राज़’ भी है—एक ऐसा राज़ जो भारत की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स महत्वाकांक्षा से जुड़ा है। कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी, दरअसल, ओलिंपिक 2036 के लिए भारत की दावेदारी को पहले से कहीं अधिक मजबूत कर देती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लाल किले से घोषणा की थी कि भारत ओलिंपिक की मेजबानी का सपना पूरा करेगा, तब यह सिर्फ एक घोषणा नहीं थी, बल्कि एक रोडमैप था—और आज उसका सबसे बड़ा कदम सफल हो गया है। दुनिया देख रही है कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेगा इवेंट्स को संभालने के लिए कितना तैयार, सक्षम और विजनरी हो चुका है।
2022 बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने 61 मेडल जीतकर जो ताकत दिखाई थी, वह 2030 में और भी बड़े रूप में देखने को मिलेगी। कुश्ती, वेटलिफ्टिंग, एथलेटिक्स और महिला क्रिकेट—ये सिर्फ मेडल स्पोर्ट्स नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती खेल-संस्कृति का चमकता प्रमाण हैं। वहीं, कॉमनवेल्थ गेम्स के 100 साल पूरे होने का यह आयोजन भारत के लिए एक भावनात्मक और ऐतिहासिक पल भी होगा। 1930 में कनाडा से शुरू हुई इस यात्रा का शतक भारत में पूरा होना—यह खुद में ही एक पावरफुल सन्देश है। आने वाले समय में अहमदाबाद सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि दुनिया की नज़र में भारत की खेल-शक्ति का प्रतीक बनकर उभरेगा।



