दिल्ली की हवा जितनी खतरनाक हो चुकी है, उससे भी ज्यादा चौंकाने वाली वो तस्वीर है जो इंडिया गेट पर रविवार देर शाम सामने आई—जहां प्रदूषण के खिलाफ जुटी भीड़ अचानक “लाल सलाम” और “हिड़मा अमर रहे” के नारों से गूंज उठी। सवाल यह है कि राजधानी की हवा बचाने के नाम पर हुए प्रदर्शन में भारत के मोस्ट वांटेड नक्सली माड़वी हिड़मा के पोस्टर आखिर क्यों लहराए गए? कौन है इस रहस्यमय प्लानिंग के पीछे? और कैसे एक पर्यावरण प्रदर्शन पलभर में सुरक्षाबलों के दुश्मन के समर्थन में बदल गया? यही वह पल था जिसने पूरे माहौल को रहस्य, अविश्वास और तनाव से भर दिया।
घटना तभी और नाटकीय हो गई जब भीड़ ने पुलिस से हाथापाई शुरू कर दी और पहली बार दिल्ली पुलिस पर काली मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया गया। कई पुलिसकर्मी घायल हुए और हालात इतने बिगड़े कि तुरंत FIR दर्ज करनी पड़ी। अब तक 22 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल अभी भी हवा में तैर रहा है—क्या यह केवल एक विरोध था या किसी बड़े एजेंडे की “छिपी हुई परत”?
चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिन लोगों ने हिड़मा की तस्वीरें उठाईं, उसी हिड़मा को सुरक्षाबलों ने मात्र 12 दिन पहले अमित शाह की 30 नवंबर तक की डेडलाइन से पहले ही मार गिराया था। एक करोड़ का इनामी, 26 बड़े हमलों का मास्टरमाइंड और बस्तर का खूनी चेहरा—उसकी तुलना पोस्टरों में बिरसा मुंडा से होना अपने-आप में एक “कंट्रास्ट शॉक” है, जो पूरे मामले को और रहस्यमय बनाता है।
उधर दिल्ली की हवा लगातार जानलेवा होती जा रही है। AQI 506 के पार, अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की भीड़, और विशेषज्ञों की चेतावनी—सब मिलकर एक ही सवाल को जन्म देते हैं: क्या प्रदूषण के भयावह दौर में राजधानी सच में समाधान की तरफ बढ़ रही है, या हम सिर्फ धुएं, नारों और रहस्यमयी विरोधों के पीछे छिपे एक और बड़े खतरे को अनदेखा कर रहे हैं?



