क्या फांसी भी कम है? क्या अब भारत पर बढ़ेगा सबसे बड़ा दबाव? —बांग्लादेश की राजनीति में भूचाल ला देने वाले फैसले के बाद यही सवाल आज करोड़ों लोगों के दिमाग में तैर रहा है। ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराते हुए सजा-ए-मौत सुनाई, लेकिन इस फैसले ने जितने जवाब दिए हैं, उससे कहीं ज्यादा रहस्य जन्म दे दिए हैं। सबसे बड़ा—क्या भारत अब हसीना को बांग्लादेश को सौंप देगा? या फिर यह मामला दो देशों के बीच तनाव की नई कहानी लिखेगा?
फैसले का दिन ढाका में किसी कयामत की शाम से कम नहीं था। एक तरफ टीवी चैनलों पर लाइव चल रही ट्रायल की आवाज़ें, दूसरी तरफ कोर्ट के बाहर रोते परिवार—ये सब मिलकर एक ऐसी तस्वीर बना रहे थे जिसमें न्याय, बदला और राजनीति की गंध एक साथ महसूस की जा सकती थी। छात्र आंदोलन के दौरान अपने भाई को खो चुके स्निग्धो जैसे युवाओं ने फैसले को देखकर राहत की सांस तो ली, लेकिन उनके मुताबिक “फांसी भी कम है…कत्लेआम के लिए इससे ज्यादा सख्ती होनी चाहिए थी।” दूसरी तरफ ऑर्डर मिलते ही दो बुलडोज़र प्रधानमंत्री आवास क्षेत्र में तैनात कर दिए गए—एक संकेत कि बांग्लादेश की सियासत अभी और खतरनाक मोड़ ले सकती है।
सबसे बड़ा ट्विस्ट यह है कि हसीना पिछले 15 महीनों से भारत में एक सेफ हाउस में रह रही हैं। और अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत पर सीधा दबाव डालते हुए कहा है कि “मानवता के खिलाफ अपराधियों को शरण देना गैर-मित्रतापूर्ण कदम है।” सवाल साफ है—क्या भारत उन भावनाओं को समझते हुए हसीना को सौंप देगा? या फिर दुनिया की राजनीति में नया तूफान उठेगा? विश्लेषकों का दावा है कि भारत पर UN का दबाव बढ़ सकता है, लेकिन भारत इसे “मैनेज” कर लेगा। असली खतरा अमेरिका के संभावित दबाव का है—और यही इस पूरे केस का हिडन सीक्रेट है।
इस फैसले ने सिर्फ कानून को नहीं, बल्कि भावनाओं को भी झकझोर दिया है। जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया, उनकी आंखों में आज भी खौफ और इंसाफ मिलने की कड़वी मिली-जुली चमक दिखाई देती है। वहीं दूसरी ओर अवामी लीग इस फैसले को “कंगारू कोर्ट का राजनीतिक बदला” बता रही है और बांग्लादेश बंद का ऐलान कर चुकी है।
अब कहानी का सबसे बड़ा सवाल जनता पूछ रही है—क्या यह फैसला न्याय है, या बदले की राजनीति? क्या भारत के दरवाज़े अब बंद होंगे या एक ऐतिहासिक निर्णय दुनिया को हिला देगा?
आने वाले दिनों में इस केस का हर पल बांग्लादेश ही नहीं, पूरी दक्षिण एशिया की राजनीति को हिलाने वाला है… और यही इस कहानी का असली सस्पेंस है।



