क्या बिहार में सचमुच बनने जा रही है पर्ची वाली सरकार? क्या Nitish–Paswan को साइड कर दिया जाएगा? और अब सत्ता की असली चाबी किसके हाथ में जाएगी?
दोस्तों… बिहार चुनाव के नतीजे तो आ चुके हैं, लेकिन असली कहानी अब शुरू हुई है! क्योंकि इस बार सवाल जीत-हार का नहीं, बल्कि उस अदृश्य ताकत का है जो फैसला करेगी कि बिहार की कुर्सी पर बैठेगा कौन और चलाएगा कौन? चर्चाएं इतनी तेज़ हैं कि लोग पूछने लगे हैं—क्या बिहार भी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और दिल्ली की तरह “पर्ची मॉडल” की तरफ बढ़ रहा है?
NDA की रिकॉर्ड जीत के बाद BJP और JDU के कार्यकर्ता जश्न मना रहे हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में एक ही बात गूंज रही है—क्या Nitish कुमार सिर्फ चेहरा होंगे और फैसले परचे पर लिखे जाएंगे? पटना और दिल्ली के बीच बढ़ती बैठकों ने सस्पेंस को और गहरा कर दिया है। कहा जा रहा है कि बिहार में ताज तो दिखेगा, पर चाबी कहीं और होगी।
चिराग पासवान और सम्राट चौधरी जैसे बड़े चेहरे भी इस बार कम सुने जा रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि इन नेताओं की भूमिका कम होगी, और “कंट्रोल रूम” कहीं और से चलेगा। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर #ParchiSarkar ट्रेंड कर रहा है—मीम, वीडियो और व्यंग्य की बाढ़ आ चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि 2025 का बिहार मॉडल एक remote-control सिस्टम जैसा हो सकता है—जहाँ मुख्यमंत्री पोस्टरों पर होंगे, लेकिन पन्नों पर लिखे फैसले कहीं और तय किए जाएंगे। जनता का सवाल भी बिल्कुल सीधा है—अगर हमने सरकार चुनी है, तो फैसला कौन करेगा?
तो क्या सच में बनने जा रही है पर्ची वाली सरकार? क्या चुनावी जीत के बाद भी सत्ता का असली रिमोट किसी और के हाथ में है? आने वाले दिनों में तस्वीर साफ होगी, लेकिन फिलहाल यही बिहार की सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ है—
“सरकार जनता ने चुनी है… पर क्या फैसला पर्ची लेगी?”



