दोस्तों, बिहार चुनाव के बीच एक वीडियो ने राजनीतिक तापमान को उबाल दिया है। जहां EVM रखी गई थीं, वहां रात में CCTV कैमरे बंद पाए गए और उसी दौरान एक पिकअप वैन स्ट्रांग रूम में घुसती दिखाई दी। ये मामला सिर्फ फुटेज का नहीं, ये विश्वास का सवाल है। और यही है आज की सबसे बड़ी खबर।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो चुका है। नियमों के अनुसार EVM मशीनों को स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखा जाता है। लेकिन हाजीपुर से जो वीडियो सामने आया, उसने चुनाव व्यवस्था की पारदर्शिता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।
वीडियो में दावा किया गया है कि अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के CCTV कैमरे रात में एक-एक करके बंद किए जा रहे थे। और ठीक उसी दौरान एक पिकअप वैन अंदर जाती है और थोड़ी देर बाद बाहर आती है। वीडियो में एक व्यक्ति की आवाज सुनाई देती है: “महनार विधानसभा का कैमरा पिछले 5 मिनट से बंद है। रात के 11 बजकर 53 मिनट हो चुके हैं। बड़ा खेल हो रहा है।”
आरजेडी ने इसे लेकर सीधा प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग पर निशाना साध दिया। उन्होंने कहा, “देश का सबसे बड़ा वोट डकैत बिहार में डेरा डाले हुए है, ताकि असली मुद्दों से ध्यान हटाया जा सके।” बयान तीखा था और प्रभाव जोरदार। वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया।
वीडियो वायरल होते ही प्रशासन सक्रिय हुआ। डीएम वर्षा सिंह, एसपी और अन्य अधिकारी रात में स्ट्रांग रूम पहुंचे। वहां आरजेडी प्रत्याशी और अन्य दलों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। जांच के बाद डीएम ने माना कि CCTV मॉनिटरिंग में लापरवाही हुई है और संबंधित कर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी। वही प्रशासन ने यह भी कहा कि स्ट्रांग रूम की सुरक्षा तीन लेयर की है और EVM से छेड़छाड़ की संभावना न के बराबर है।
लेकिन असली सवाल यहीं से शुरू होता है। अगर सुरक्षा इतनी कड़ी थी, तो CCTV क्यों बंद हुए? रात में वैन अंदर क्यों गई? और ये सब किसके निर्देश पर हुआ? चुनाव सिर्फ वोटों की गिनती नहीं, यह विश्वास की नींव है। जब इस नींव में दरार पड़ती है, तो लोकतंत्र काँप उठता है।
अब पूरा बिहार एक ही चीज़ का इंतज़ार कर रहा है: सच क्या है? और वो कब सामने आएगा?



