बिहार के चंपारण जिले में बुधवार को ऐसा राजनीतिक तूफान आया कि विपक्षी नेता और एनडीए दोनों की नींद उड़ गई। तेजस्वी यादव ने रामनगर में विशाल रैली को संबोधित करते हुए एक ऐसा ऐलान किया, जिसने हर मतदाता की नजरें उनकी ओर मोड़ दी। उन्होंने कहा, “हर परिवार का एक सदस्य सरकारी नौकरी पाएगा।” क्या सच में यह संभव है? या सिर्फ चुनावी वादा? यही सवाल अब पूरे बिहार में गूंज रहा है।
चंपारण की सड़कों पर सुनसान माहौल को अचानक जीवंत कर देने वाली यह रैली, रोज़गार और महिला सशक्तिकरण को केंद्र में रखते हुए लोगों के दिलों में उम्मीद की नई किरण जगा गई। लेकिन रुको, सिर्फ नौकरी का वादा ही नहीं, तेजस्वी ने बड़ा प्रशासनिक झटका भी दिया—बगहा पुलिस ज़िले को पूर्ण राजस्व ज़िला बनाने का ऐलान। यह वो छिपा हुआ राज है, जिसे अब तक किसी ने सार्वजनिक नहीं किया था।
एनडीए सरकार पर तेजस्वी का हमला इतने तीखे शब्दों में आया कि सब चौंक गए। उन्होंने बताया कि पिछले 20 सालों में राज्य की बेरोज़गारी और महंगाई ने आम बिहारी की जिंदगी को किस कदर प्रभावित किया है। क्या आप जानते हैं कि बिहार के कितने युवा आज भी दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं? यह संख्या चौंकाने वाली है, और यही उनकी मुख्य रणनीति बन गई है। तेजस्वी ने लोगों को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार बनते ही शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार में बदलाव होगा और कोई भी युवा पलायन के लिए मजबूर नहीं होगा।
रैली में भावनाओं का ज्वार उमड़ा और जनता की तालियों ने उनके वादों को स्वीकार किया। सवाल यह है—क्या तेजस्वी यादव की यह योजना बिहार में एनडीए की सत्ता को हिला पाएगी? या यह सिर्फ चुनावी खेल का हिस्सा है? जिस तरह उन्होंने अपने भाषण में हर वचन को जोरदार शब्दों और भावनाओं के साथ रखा, वह निश्चित रूप से हर मतदाता के दिल में गहराई तक असर करेगा। बिहार की राजनीति अब एक नया मोड़ लेने जा रही है, और तेजस्वी यादव इस मोड़ के केंद्र में हैं।



