लद्दाख की शांत वादियाँ आज चीख-पुकार और आग की लपटों में बदल गईं | जी हाँ, लद्दाख, जो अपनी शांति और सुंदरता के लिए जाना जाता था, आज हिंसा की आग में जल रहा है | पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग को लेकर लेह में हुआ प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा घायल हो गए | यह घटना तब हुई जब प्रदर्शनकारी सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के समर्थन में सड़कों पर उतरे थे |
क्या 5 सालों की शांतिपूर्ण लड़ाई अब अपना रास्ता बदल रही है? वांगचुक ने खुद हिंसा के बाद अपना अनशन तोड़ते हुए कहा, “हमारा शांति का पैगाम असफल हो रहा है |” उन्होंने युवाओं से यह ‘बेवकूफी’ रोकने की अपील की | लेकिन, सवाल यह है कि क्या यह अपील पर्याप्त होगी?
प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी, जिसके बाद प्रशासन को लेह में मार्च और रैलियों पर प्रतिबंध लगाना पड़ा | 2019 में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद, सरकार ने राज्य का दर्जा बहाल करने का भरोसा दिया था |
अब 6 अक्टूबर को सरकार के साथ होने वाली बैठक पर सभी की निगाहें टिकी हैं | क्या यह बैठक इस बढ़ती अशांति को रोक पाएगी? क्या शांति और अहिंसा का रास्ता एक बार फिर अपना वर्चस्व कायम कर पाएगा? यह घटना सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि लद्दाख के भविष्य के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है |



