नेपाल के बाद अब फ़्रांस में भी राजनीतिक तूफ़ान आ गया है। जहाँ एक तरफ़ राष्ट्रपति मैक्रों की नीतियों और लगातार बदलते प्रधानमंत्रियों से जनता में असंतोष है, वहीं दूसरी ओर ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन के नारे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। एक लाख से ज़्यादा लोग सड़क पर हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
हिंसक प्रदर्शनों के बीच 300 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और 80 हज़ार पुलिसकर्मी तैनात हैं। गृह मंत्री ने इसे विद्रोह का माहौल बनाने की कोशिश बताया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ़ बजट कटौती का विरोध है, या फिर यह मैक्रों सरकार के अंत की शुरुआत?
क्या फ़्रांस भी नेपाल की तरह राजनीतिक संकट में फँस जाएगा? क्या यह आंदोलन मैक्रों की सत्ता को चुनौती दे पाएगा? और क्या नया प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू इस उग्र होते प्रदर्शन को शांत कर पाएंगे? इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेंगे।
यह विरोध सिर्फ़ वेतन वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मैक्रों की नीतियों के ख़िलाफ़ जनता का एक बड़ा आक्रोश है। क्या मैक्रों इस बार जनता की नाराज़गी को संभाल पाएंगे, या फिर उनके लिए भी राजनीतिक राह मुश्किल हो जाएगी?



