शिक्षकों की नौकरी पर मंडराए संकट के बादल। जी हाँ, लाखों शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने देशभर के टीचर्स के बीच हड़कंप मचा दिया है।
दरअसल, 1 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कह दिया है कि अब बिना TET पास किए कोई भी शिक्षक न तो नौकरी पा सकेगा और न ही प्रमोशन का हकदार होगा। यानि टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) अब सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि भविष्य की चाबी बन चुका है। यह खबर सिर्फ एक आदेश नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। एक ऐसा फैसला जो शिक्षकों की योग्यता को परखने के लिए एक ‘लक्ष्मण रेखा’ खींचता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार बिना TET पास किए, न तो नौकरी मिलेगी, न प्रमोशन। जिन शिक्षकों की सर्विस में 5 साल से कम बचे हैं, उन्हें सेवानिवृत्ति तक छूट मिलेगी। और जिनके पास 5 साल से ज्यादा की सर्विस बची है उनके सामने सिर्फ दो रास्ते TET पास करो या फिर इस्तीफा दो/कंपल्सरी रिटायरमेंट लो। पुराने शिक्षकों को दी गई है 2 साल की मोहलत, अगर इस बीच परीक्षा पास नहीं की, तो नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
इतना ही नहीं, कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि फिलहाल ये नियम अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू नहीं होगा। तो क्या आने वाले समय में शिक्षकों की पहचान डिग्री से नहीं बल्कि TET पास करने से होगी? क्या ये फैसला शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाएगा या हज़ारों टीचर्स को बेरोजगार कर देगा? जवाब सिर्फ वक्त देगा, लेकिन इतना तय है कि टीचिंग प्रोफेशन में भूचाल आ चुका है।



