विराट की आक्रामकता और रोहित के छक्कों के दीवाने आज की पीढ़ी शायद उस तूफान से अनजान है, जो कभी सुनील गावस्कर की एक पारी ने ला दिया था। क्रिकेट के मैदान का वो ‘लिटिल मास्टर’, जिसने बड़े-बड़े गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिए, एक मैच में ऐसे अटके कि ड्रेसिंग रूम में बवाल मच गया!
बात 1975 के वर्ल्ड कप की है। 300 से ऊपर के लक्ष्य का पीछा कर रही भारतीय टीम और क्रीज पर अकेले खड़े सुनील गावस्कर। लेकिन क्या हुआ? उन्होंने 174 गेंदों में सिर्फ 36 रन बनाए! सोचिए, जहां हर कोई तेजी से रन बनाने की कोशिश कर रहा था, गावस्कर अकेले एक छोर पर टिके रहे।
ड्रेसिंग रूम से बार-बार मैसेज भेजे गए, ‘तेज खेलो’ या ‘आउट हो जाओ’, लेकिन उस जिद्दी बल्लेबाज पर किसी बात का कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने टोनी ग्रेग, जेफ अर्नोल्ड जैसे गेंदबाजों का सामना किया, लेकिन रन बनाने की रफ्तार कछुए से भी धीमी रही।
मैच के बाद ड्रेसिंग रूम में हंगामा मचना लाजमी था। जब मैनेजर ने गावस्कर से इस धीमी पारी का कारण पूछा, तो उनका जवाब सुनकर सब सन्न रह गए – “मैं इन गेंदबाजों का सामना कर रहा था, भविष्य के टेस्ट मैचों के लिए प्रैक्टिस कर रहा था। मुझे अकेला छोड़ दो।”
क्या यह प्रैक्टिस थी या कोई और वजह? गावस्कर की उस पारी का रहस्य आज भी क्रिकेट के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।



