क्या आपको पता है… कि आज रात के व्लादिमीर पुतिन के दावत-डिनर को लेकर अचानक हुई एक बड़ी राजनैतिक हलचल! हाँ, आपने सही सुना — एक ऐसा ड्रामा जो सबकी निगाहों का केंद्र बन गया है!
सरकारी दफ्तरों से मिलने वाले निमंत्रणों की “स्पेशल 75” लिस्ट में शामिल हुए हैं कुछ नाम — लेकिन उस लिस्ट से दो दिग्गज नेता स्पष्ट रूप से गायब! लगता है जैसे किसी ने मीट-एंड-ग्रीट को पॉलिटिक्स का नया गेम बना दिया हो।
शशि थरूर — हाँ वही कांग्रेस नेता — को बुलावा मिला, जबकि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को पूरी तरह अनदेखा कर दिया गया। ये डिनर सिर्फ ग्लैमर नहीं — यह सवाल है प्रोटोकॉल, सम्मान और पारंपरिक कूटनीति का!
आज की सुबह से ही पार्टी में माहौल गरमा गया है… नेत्रित्व में धड़कन तेज — क्यों? क्योंकि जब आपके सबसे बड़े विपक्षी नेता को ही न्योता नहीं मिलेगा, और किसी को मिलेगा — तो यह सिर्फ एक दावत नहीं, जंग के पहले फैलाए गए दावे की तरह दिखता है!
शशि थरूर ने कहा है— “मैंने निमंत्रण स्वीकार किया है, मुझे जाना है।” लेकिन पार्टी के एक वरिष्ठ प्रवक्ता ने आग उगलते हुए कहा — “जो बुलाया गया है, उनसे सवाल करें; जिन्होंने स्वीकार किया है, उनका भी हिसाब होगा।”
तो ये डिनर सिर्फ प्लेटों और पंखुड़ियों का नहीं — यह है प्रतिमाओं और पावर की लड़ाई का! इस निमंत्रण-कुर्सी के पीछे छुपा है सवाल — किसे चुना गया, किसे छोड़ा गया, और क्यों?
दोस्तों, यह वो पल है जब चुप्पी बोलती है, ख़ामोशी सवाल करती है — और एक दावत, बन जाती है सियासी बयान!
तो तैयार हो जाइए — क्योंकि इस रात की दावत में सिर्फ नेताओं की थाली नहीं, राजनीति की पूरी थाली परोसने का इरादा है!



