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SMS फ्रॉड का The End! TRAI का नया नियम, अब हर नकली मैसेज होगा LIVE ही ब्लॉक

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके मोबाइल पर रोज़ आने वाले बैंक, लोन, क्रेडिट कार्ड और इनाम पाने वाले SMS में असल सच क्या छिपा होता है? कौन भेज रहा है ये मैसेज? और आपके एक क्लिक करते ही आपकी पर्सनल जानकारी कैसे गायब हो जाती है? आज की बड़ी और गेम-चेंजर खबर इसी पर है। TRAI ने आखिरकार वो बड़ा फैसला ले लिया है जो भारत में फर्जी SMS और डिजिटल फ्रॉड की दुनिया को हिला देगा।

अब किसी भी कंपनी को कमर्शियल SMS भेजने से पहले अपने हर मैसेज के वेरिएबल हिस्से—जैसे लिंक, नंबर, ऑफर अमाउंट—को पहले से टैग करना अनिवार्य होगा। और यही प्री-टैगिंग नियम अब फ्रॉडस्टर्स के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बनने वाला है, क्योंकि आने वाले 60 दिनों में जो कंपनियां इस नियम को अपनाएंगी, उनके SMS तो ग्राहकों तक पहुंचेंगे, लेकिन जो नियम नहीं मानेंगी, उनके मैसेज रास्ते में ही ब्लॉक हो जाएंगे।

सोचिए, अभी तक असली और नकली SMS में फर्क करना आपके हाथ में था, लेकिन अब इस फर्क को पहचानना टेक्नोलॉजी अपने आप करेगी। आप शायद नहीं जानते कि फ्रॉड करने वाले कैसे सरकारी योजना, बैंक अलर्ट और फ्री गिफ्ट जैसे ‘विश्वास पैदा करने वाले मैसेज’ में छुपे हुए लिंक डालकर करोड़ों का नुकसान करा देते थे। लेकिन अब खेल उलटने वाला है। जैसे ही कोई कंपनी मैसेज टेम्प्लेट रजिस्टर करेगी, उसे बताना होगा कि जिस जगह URL आएगा, वह #url# है, जिस जगह नंबर आएगा, वह #number# है। और जैसे ही टेलीकॉम ऑपरेटर को इन टैग्स में कोई संदिग्ध बदलाव दिखता है—मैसेज तुरंत ब्लॉक। न ग्राहक तक पहुंचेगा और न फ्रॉड कामयाब होगा।

TRAI ने यह भी साफ कर दिया है कि 60 दिनों की डेडलाइन सिर्फ औपचारिकता नहीं है बल्कि एक पूरा युद्ध है फर्जीबाज़ों के खिलाफ। क्योंकि महीनों से लाखों लोग इस सवाल से परेशान हैं कि कौन-सा मैसेज असली है और कौन-सा झांसा। अब पहली बार ऐसा सिस्टम लागू होगा जिसमें हर वेरिएबल लिंक ट्रांसमिशन से पहले वैलिडेट होगा। यानी जो छुपा हुआ खतरा कभी नजर नहीं आता था, वह अब पहली नज़र में पकड़ में आएगा। यह सिर्फ एक नियम नहीं, डिजिटल कम्युनिकेशन की दुनिया में भरोसा वापस लाने की कोशिश है।

अगले कुछ हफ्तों में डिजिटल मैसेजिंग का चेहरा बदलेगा। स्पैम कम होगा, फ्रॉड लगभग खत्म होगा और सबसे महत्वपूर्ण—हर ग्राहक को मिलेगा सुरक्षा का वो भरोसा, जिसकी जरूरत वह सालों से महसूस कर रहा था। सवाल बस इतना है कि क्या कंपनियां इस बदलाव को समय पर अपना पाएंगी या 60 दिन बाद उनका ही मैसेज बाहर का रास्ता देख लेगा? यही Suspense अब सबसे बड़ा Game-Changer है।

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