PK vs Reporter Clash jwabo me jhalka gussa

PK vs Reporter Clash जवाबों में झलका गुस्सा, स्टूडियो तक मच गया बवाल

बिहार की राजनीति में भूचाल लाने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस… और उसके बीच तीखी तकरार, भावनाओं का तूफ़ान और एक ऐसा पल जिसने पूरे मीडिया रूम की सांसें रोक दीं। प्रशांत किशोर, जिन्हें रणनीति का जादूगर कहा जाता है, आज पहली बार खुले शब्दों में हार की जिम्मेदारी लेते दिखे लेकिन दिलचस्प यह कि किस सवाल पर उनकी आवाज़ कांपी, कौन-सा मुद्दा उन्हें अंदर तक झकझोर गया… ये सब कुछ उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का अनदेखा सच है।

कहानी की शुरुआत एक मासूम-सा सवाल पूछे जाने से होती है, लेकिन अंत तक मामला इतना गर्म हो जाता है कि PK खुद उठकर बाहर जाने को तैयार हो जाते हैं। सवाल था वही 25 सीटों वाला बयान, वही दावा जिसे चुनाव से पहले बड़े आत्मविश्वास से कहा गया था। रिपोर्टर जैसे ही सवाल करता है, PK की आंखों में तड़प और चेहरे पर चिढ़ झलकने लगती है, मानो किसी ने पुराने ज़ख्म फिर खोल दिए हों।

यही वह क्षण था जिसने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सन्नाटा ला दिया। PK बोलते हैं किस पद पर हूं कि इस्तीफा दे दूं? और फिर एक ऐसी लाइन, जिसने सबको चौंका दिया अगर मेरे कहने से आप खुश हो जाएंगे कि मुझे बिहार की समझ नहीं है… तो खुश हो जाइए। रिपोर्टर्स के चेहरे पर हैरानी, कमरे में बढ़ता तनाव और PK का उखड़ा हुआ मूड… ये पूरे माहौल को और भारी कर देता है। सवाल आगे बढ़ते हैं 129 सीटों का दावा, हिंदू-मुस्लिम राजनीति न करने की बात, भ्रष्टाचार न छूने की कसमें, 3 साल पैदल चलने के बाद ‘क्या मिला’ जैसे सीधे और चुभते सवाल। और PK पहली बार स्वीकारते हैं हम हारे… और मैं इस हार की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं।

लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती। असली ट्विस्ट आता है जब PK 20 नवंबर को एक दिन का मौन उपवास रखने की घोषणा करते हैं। यह सिर्फ संकल्प नहीं, बल्कि एक प्रतीक है एक ऐसा संकेत जो बताता है कि वे इस हार को सिर्फ हार नहीं, बल्कि आत्ममंथन का अवसर मान रहे हैं। और ठीक इसी वक्त उनका एक और बयान मीडिया की नज़रों में तीर की तरह लगता है हमने बीजेपी या JDU की तरह जाति का ज़हर नहीं फैलाया, नहीं हिंदू-मुस्लिम की राजनीति की। जिसने किया है… उन्हें जवाब देना होगा।

और फिर PK का सबसे बड़ा दावा सरकार ने चुनाव जीतने के लिए 40,000 करोड़ रुपए बांटे। उनके मुताबिक महिलाओं, आंगनबाड़ी सेविकाओं, प्रवासी मजदूरों तक… हजारों करोड़ की घोषणाएँ सिर्फ चुनावी गणित थीं। इतना ही नहीं, PK एक गुप्त चेतावनी भी देते हैं अगर सरकार ने 1.5 करोड़ महिलाओं को वादा किए गए 2-2 लाख नहीं दिए… तो ये साबित हो जाएगा कि यह सिर्फ वोट खरीदने की चाल थी।

कहानी यहीं पर एक नाटकीय मोड़ लेती है जब PK कहते हैं अगर यह वादा पूरा हो गया… तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। एक तरफ हार की कबूलियत, दूसरी तरफ सिस्टम पर तीर-सा वार… और बीच में खड़ा बिहार जो अभी भी पूछ रहा है: सच क्या है? खेल क्या था? और असली जीत किसकी हुई?

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