icc me pahali baar bharatiya beti ke naam itihas jayshah ne kiya kamal

ICC में पहली बार, भारतीय बेटी के नाम इतिहास, जय शाह ने किया कमाल

दोस्तों! क्या एक जांबाज़ बेटी के लिए बदले जाएंगे इंटरनेशनल क्रिकेट के सख्त नियम? क्या ICC पहली बार किसी 16वीं खिलाड़ी को आधिकारिक वर्ल्ड कप मेडल देगा? और क्या जय शाह ने किया है इतिहास में कभी न हुआ ऐसा फ़ैसला? चलिए पूरी कहानी समझते हैं… और यकीन मानिए… ये कहानी सीधे दिल छू जाएगी।

भारत की महिला क्रिकेट टीम ने 2025 में वर्ल्ड कप जीतकर पूरी दुनिया को दिखा दिया — “हम किसी से कम नहीं!” कप्तान हरमनप्रीत कौर की कमान में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को फाइनल में हराकर इतिहास लिख दिया। लेकिन, इस जश्न के बीच छिपी थी एक भावुक, गर्व भरी और दिल को छू लेने वाली कहानी… जांबाज़ बल्लेबाज़ — प्रतीका रावल की कहानी!

टूर्नामेंट के शुरूआती मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ प्रतीका ने तूफानी पारी खेली, पूरा मैदान उठ खड़ा हुआ! लेकिन अगला मैच, बांग्लादेश के खिलाफ, एक तेज़ टक्कर, घुटने में चोट और पूरा टूर्नामेंट खत्म, प्रतीका बाहर, और उनकी जगह टीम में आई शेफाली वर्मा। टीम जीती. देश जश्न में डूब गया लेकिन पदक वितरण के समय प्रतीका मैदान में नहीं थीं।

अब सुनिए असली ट्विस्ट! सोशल मीडिया पर लोगों ने पूछा — “अगर मैच नहीं खेला… तो प्रतीका के गले में मेडल कैसे?” कौन लाया ये मेडल? किसने दिलाया? और नियम कैसे टूट गया?

उत्तर मिला… खुद प्रतीका रावल की जुबानी।

उन्होंने बताया — “ICC चेयरमैन जय शाह ने कहा था — पदक तुम्हारा भी है। टीम तुमसे ही पूरी होती है।” जय शाह ने ICC से विशेष अनुमति लेकर प्रतीका के लिए अलग विजेता पदक तैयार करवाया! जब प्रतीका ने वो मेडल पहली बार हाथ में लिया… उनकी आँखों में खुशी नहीं… गर्व बह रहा था।

और अब सबसे बड़ा SUSPENSE! ICC के नियम अनुसार — सिर्फ 15 खिलाड़ियों को मेडल मिलता है। लेकिन इस घटना के बाद ICC स्थायी रूप से नियम बदलने पर विचार कर रहा है। मतलब अब चोटिल खिलाड़ी भी अपने संघर्ष का सम्मान पाएगा।

क्योंकि मेडल केवल मैदान में खेले गए ओवरों से नहीं, दिल से खेले गए सपनों से बनता है। और प्रतीका रावल… यही सपने का नाम है

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