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प्रदुषण पर सुप्रीम वार, पटाखा भी ग्रीन हवा भी क्लीन, इस दीवाली होगा डबल सेलिब्रेशन

दोस्तों , दिवाली पर हवा में पटाखों का धुआं नहीं बल्कि खुशियों की खुशबू फैलेगी! सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली से पहले दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों को दी हरी झंडी, लेकिन क्या ये वाकई ‘ग्रीन’ हैं? आइये जानते है इस खास रिपोर्ट में कि ग्रीन पटाखे सच में पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं या नहीं?

जी हाँ, दीपावली का त्योहार नज़दीक है और दिल्ली-NCR के लाखों लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही था कि क्या इस बार हम रौशनी के इस पर्व पर आतिशबाजी कर पाएंगे? और आज उस प्रश्न का जवाब आ गया है, लेकिन एक शर्त के साथ। सुप्रीम कोर्ट ने 18 से 21 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल को ‘हरी झंडी’ दे दी है, वो भी सीमित समय के लिए— दीवाली से एक दिन पहले और दीवाली के दिन सुबह 6-7 बजे और रात 8 से 10 बजे के बीच। लेकिन यह ‘ग्रीन पटाखा’ है क्या? और कैसे यह हमारे पारंपरिक, जहरीले पटाखों से इतना अलग है कि इसे सुप्रीम कोर्ट से भी मंज़ूरी मिल गई?

दरअसल, यह एक ‘पर्यावरण रक्षक’ पटाखा है, जिसे CSIR-NEERI ने विकसित किया है। पारंपरिक पटाखों में अक्सर लेड और आर्सेनिक जैसी जहरीली भारी धातुओं का इस्तेमाल होता है, जो हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए ‘ज़हर’ से कम नहीं। लेकिन ग्रीन पटाखों में इन हानिकारक यौगिकों की जगह कम खतरनाक तत्वों का उपयोग किया गया है। यहाँ इस्तेमाल होता है जिओलाइट और आयरन ऑक्साइड जैसे मल्टीफंक्शनल एडिटिव्स, जो उत्सर्जन को नियंत्रित करते हैं। सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि ये हवा में पार्टिकुलेट मैटर (PM), सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को 30% तक कम करते हैं, जिससे हमारी साँसों को कम से कम नुकसान हो।

यह ज़रूर है कि ग्रीन पटाखे पूरी तरह से प्रदूषण-मुक्त नहीं हैं, पर यह पुराने पटाखों के ‘प्रदूषण बम’ के मुकाबले ‘सुरक्षित विकल्प’ ज़रूर हैं। यह एक खुला रहस्य है कि कैसे छोटे-छोटे कण, जिन्हें हम PM10 या PM2.5 कहते हैं, हमारे शरीर में गहराई तक प्रवेश कर स्वास्थ्य जोखिम बढ़ाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए तीन मुख्य प्रकार के ग्रीन पटाखे बनाए गए हैं— SWAS जो पानी की महीन बूँदें छोड़कर धूल सोखता है, SAFAL जिसमें एल्युमीनियम की मात्रा सुरक्षित स्तर पर रखी गई है, और STAR जिसमें पोटैशियम नाइट्रेट या सल्फर नहीं होता।

सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला एक संतुलित दृष्टिकोण दर्शाता है— न पर्यावरण से समझौता, न ही त्योहार की भावना पर रोक। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली-NCR के बाहर से पटाखों की खरीद और उपयोग पर पूरी तरह से रोक रहेगी और अगर किसी ने नकली ग्रीन पटाखे बनाए तो उसका लाइसेंस तुरंत ‘रद्द’ कर दिया जाएगा। यह कदम सिर्फ पर्यावरण की नहीं, बल्कि हमारे बच्चों के भविष्य की भी सुरक्षा है। आइए, इस दीवाली को हम कम धुएँ और ज़्यादा रौशनी के साथ मनाएं।

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