पटना के सियासी गलियारों में आज रात सत्ता के खिलाफ जनता का विस्फोट हो गया है! राजनीति की तपिश अचानक भड़क उठी जब दो बड़े दलों, राजद और जदयू, के अभेद्य गढ़ कहे जाने वाले कार्यालयों में भीषण हंगामा हुआ | यह केवल विरोध नहीं, बल्कि आगामी चुनावों से ठीक पहले पार्टी नेतृत्व को खुली चुनौती है!
सबसे बड़ा धमाका हुआ पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर | सैकड़ों आक्रोशित ग्रामीण अचानक दीवारें फांदकर अंदर घुस गए | उनके हाथों में नारे लिखे पोस्टर थे और जुबान पर सिर्फ एक ही मांग: “चोर विधायक नहीं चाहिए!” मखदुमपुर के विधायक सतीश कुमार को टिकट न देने की मांग पर अभूतपूर्व बवाल मचा |
प्रदर्शनकारियों का धुंआधार आरोप है कि विधायक ने सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा—हर मोर्चे पर जनता को धोखा दिया है | एक प्रदर्शनकारी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, “अगर टिकट मिला, तो सामूहिक विरोध होगा | पार्टी को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी!” क्या राजद नेतृत्व इस अंगारे को नज़रअंदाज़ करने की गलती करेगा?
उधर, जदयू ऑफिस में भी विरोध की ज्वाला धधक उठी | फुलवारी क्षेत्र से आए लोगों ने कद्दावर नेता श्याम रजक के खिलाफ जमकर नारेबाजी की | आरोप गंभीर हैं: जनता से दूरी और संगठन के हितों की उपेक्षा! प्रदर्शनकारियों ने साफ कह दिया है कि श्याम रजक को पद और टिकट दोनों से हटाया जाए |
अब सवाल यह है कि क्या यह विरोध महज टिकट की लड़ाई है, या फिर यह जमीनी स्तर पर पनप रहा बड़ा असंतोष? लगातार हो रहे इन अभूतपूर्व प्रदर्शनों ने संकेत दे दिया है कि इस बार चुनाव में नेताओं के लिए जीत की राह आसान नहीं होने वाली | क्या दोनों पार्टियां इन विद्रोहियों को शांत कर पाएंगी, या ये ‘विद्रोह’ उनके चुनावी समीकरणों को हमेशा के लिए बिगाड़ देंगे? पटना की राजनीति में सस्पेंस गहराता जा रहा है!



