ahmedabad mein bana itihas ek din mein 3 shatak 3 kahaniyan 3 alag jazbaat

अहमदाबाद में बना इतिहास: एक दिन में 3 शतक, 3 कहानियां, 3 अलग जज्बात

क्रिकेट के मैदान से आई इस खबर ने न सिर्फ स्कोरबोर्ड को हिला दिया है, बल्कि करोड़ों भारतीयों के दिलों को भी छू लिया है | अहमदाबाद के मैदान पर वेस्टइंडीज के खिलाफ शुक्रवार को भारतीय बल्लेबाजों ने सिर्फ रन नहीं बनाए, बल्कि जुनून, वापसी और देशप्रेम की तीन अविस्मरणीय गाथाएं लिख डालीं | एक ही दिन में तीन बल्लेबाजों केएल राहुल, रवींद्र जडेजा और युवा ध्रुव जुरेल ने शतक जड़कर रनों का तूफान ला दिया है |

भारत ने 448 रन बनाकर मैच पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इन शतकों के बाद हुए अलग-अलग सेलिब्रेशन की है, जो कई गहरे राज खोलते हैं | केएल राहुल ने धमाकेदार वापसी करते हुए अपना शतक पूरा किया | छह साल बाद भारत में शतक लगाने वाले राहुल ने हेलमेट पर लगे तिरंगे को चूमा और फिर अपनी नन्ही बेटी को समर्पित करते हुए सीटी बजाई | यह एक पिता के संघर्ष और जीत का भावुक क्षण था | इसके बाद, रवींद्र जडेजा ने हमेशा की तरह अपने बैट को हवा में तलवार की तरह लहराया, जिसे उनका सोर्ड सेलिब्रेशन कहा जाता है | यह विरोधी टीम के लिए साफ संदेश था कि वह अभी भी भारतीय मध्यक्रम के अभेद्य योद्धा हैं |

परंतु, वह पल जिसने पूरे देश को भावुक कर दिया, वह था युवा ध्रुव जुरेल का पहला टेस्ट शतक | 125 रन की तूफानी पारी खेलने के बाद जुरेल ने अपने बल्ले को राइफल की तरह उठाया और पूरी शान से इंडियन आर्मी को सैल्यूट किया | जुरेल के पिता नेम चंद भारतीय सेना से रिटायर्ड हवलदार हैं | ध्रुव का यह सैल्यूट सिर्फ उनके पिता को नहीं, बल्कि सीमा पर खड़े हर जवान को समर्पित था | यह बताता है कि भारतीय क्रिकेट में देशभक्ति की जड़ें कितनी गहरी हैं |

एक तरफ यह ऐतिहासिक प्रदर्शन, कप्तान गिल की शानदार फिफ्टी और दूसरी तरफ दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम की खाली कुर्सियाँ एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं | एक ही दिन में तीन नायकों के उदय के बावजूद दर्शकों की गैरमौजूदगी क्या कोई गहरा रहस्य है? क्या यह जीत भारतीय टीम के लिए एक नए युग की आहट है? ये तीन सेलिब्रेशन भारतीय क्रिकेट के भविष्य को किस ओर ले जाएंगे? जवाब जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ |

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