भारतीय क्रिकेट के सर्वोच्च सिंहासन पर एक बड़ा उलटफेर! जिसकी गूंज मुंबई से लेकर श्रीनगर तक सुनाई दे रही है | BCCI के 37वें अध्यक्ष के नाम का हुआ आधिकारिक ऐलान, और यह नाम है मिथुन मन्हास | एक ऐसा दिग्गज जिसे अब तक ‘डोमेस्टिक सर्किट’ का ‘साइलेंट किलर’ माना जाता था, अब क्रिकेट बोर्ड का सर्वोच्च मुखिया बन गया है | और सबसे बड़ी बात है कि वे निर्विरोध चुने गए | जी हाँ, किसी भी विरोध या चुनावी ड्रामे के बिना!
लेकिन क्या आप जानते हैं, यह कहानी सिर्फ एक नाम तक सीमित नहीं है? मिथुन मन्हास की कहानी सस्पेंस और संघर्ष से भरी हुई है | जम्मू-कश्मीर के छोटे शहर से उठकर उन्होंने अंडर-15 टीम में खेलना शुरू किया और देश के हाईएस्ट अंडर-19 स्कोरर बने | 17 साल की उम्र में दिल्ली आए, जहां उनके सामने थे वीरेंद्र सहवाग और आशीष नेहरा जैसे दिग्गज |
दिल्ली रणजी टीम में जगह बनाने के बाद, उन्होंने सिर्फ खेल ही नहीं, बल्कि लीडरशिप का जादू भी दिखाया | 2007-08 में उनकी कप्तानी में दिल्ली ने 16वीं रणजी ट्रॉफी जीतकर इतिहास रचा | IPL में भी उन्होंने दिल्ली डेयरडेविल्स, पुणे वॉरियर्स और चेन्नई सुपर किंग्स की टीमों में खेलते हुए अपने हुनर का लोहा मनवाया |
संन्यास लेने के बाद भी मन्हास ने कदम पीछे नहीं हटाया | उन्होंने कोचिंग में एंट्री ली, पंजाब किंग्स और RCB जैसी फ्रेंचाइजी में स्टाफ रहे, और J&K क्रिकेट स्ट्रक्चर को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई | और अब, BCCI का नेतृत्व उनके हाथों में है | साथ ही, राजीव शुक्ला उपाध्यक्ष, देवजीत सैकिया सचिव, और रघुराम भट कोषाध्यक्ष बने रहेंगे | क्या मन्हास की नई रणनीति भारतीय क्रिकेट में नई क्रांति ला पाएगी? क्या यह BCCI में नई हवा का संकेत है?



