आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने अपनी चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है | पार्टी ने तीन राज्यों- बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के लिए अपने सबसे भरोसेमंद रणनीतिकारों को मैदान में उतारा है | यह नियुक्तियां सिर्फ नामों की घोषणा नहीं, बल्कि एक गहरी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं जो विपक्ष को चौंका सकती है |
बिहार में जहाँ अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं, वहाँ की कमान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सौंपी गई है | प्रधान, जो मोदी और शाह के भरोसेमंद हैं, अपनी संगठनात्मक क्षमता और चुनावी प्रबंधन के लिए जाने जाते हैं | उनकी नियुक्ति से यह साफ है कि भाजपा बिहार के जटिल जातीय समीकरणों को साधने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती | क्या प्रधान अपने पिछले रिकॉर्ड को दोहराते हुए बिहार में फिर से एनडीए की सरकार बनाने में कामयाब होंगे?
पश्चिम बंगाल के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को प्रभारी बनाया गया है, जिनकी चुनावी रणनीति का रिकॉर्ड शानदार रहा है | बिहार (2020), मध्य प्रदेश (2023) और उत्तर प्रदेश (2017) जैसे राज्यों में भाजपा की जीत के पीछे उनकी रणनीति का अहम हाथ रहा है | अब ममता बनर्जी के गढ़ में उनका अनुभव क्या गुल खिलाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा |
वहीं, तमिलनाडु जैसे कठिन राज्य में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा को जिम्मेदारी दी गई है | उनकी साफ छवि और प्रभावशाली वक्ता होने का फायदा पार्टी को मिल सकता है | क्या पांडा तमिलनाडु में भाजपा के लिए नई जमीन तैयार कर पाएंगे?
इन नियुक्तियों से साफ है कि भाजपा इन राज्यों में सिर्फ चुनाव लड़ने नहीं, बल्कि जीतने की तैयारी में है | ये ‘महारथी’ क्या पार्टी के लिए जीत की स्क्रिप्ट लिख पाएंगे, इसका जवाब आने वाला वक्त ही देगा |



