आधी रात का वो वक्त, जब आसमान से नींद नहीं, मौत बरस रही थी! क्या हुआ उस रात खैबर पख्तूनख्वा की तिराह घाटी में, जब अपने ही फाइटर जेट्स ने अपनों पर ही बम बरसा दिए?
ये हमला था या धोखा? पाकिस्तानी वायुसेना का दावा है कि उनका निशाना था तहरीक-ए-तालिबान (TTP) का वो अड्डा, जहाँ पाकिस्तान को दहलाने के लिए बम बन रहे थे | लेकिन मलबे के ढेर से निकलती बच्चों और महिलाओं की लाशें एक दूसरी, और भी खौफनाक कहानी बयां कर रही हैं | 30 जिंदगियां, 8 लेजर गाइडेड बमों से हमेशा के लिए खामोश कर दी गईं |
क्या सच में सेना के पास पुख्ता जानकारी थी? या फिर आतंकियों के सफाए के नाम पर बेगुनाहों को मौत के घाट उतार दिया गया? सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो इस हमले पर कई गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं |
एक तरफ TTP का बढ़ता आतंक, दूसरी तरफ अपनी ही हिफ़ाज़त करने वालों के हमले… आखिर पाकिस्तान के लोग भरोसा करें तो किस पर? सवाल ये है कि तिराह घाटी के इस अंधेरे सच का जिम्मेदार कौन है? आतंकी… या खुद रक्षक?



