जी हाँ, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने भू-राजनीतिक समीकरणों में हलचल मचा दी है | ट्रंप ने G-7 और नाटो देशों से चीन पर 50 से 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की मांग की है, क्योंकि चीन रूस से तेल खरीद रहा है | इस मांग पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, चेतावनी देते हुए कहा है कि यह एकतरफा ‘धौंस जमाने’ और ‘आर्थिक दबाव’ बनाने का कृत्य है |
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने पलटवार करते हुए कहा, धौंस और धमकियों से कुछ नहीं होता | उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस के साथ चीन का व्यापार पूरी तरह वैध और कानून के अनुरूप है | चीन की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब अमेरिका और चीन के बीच आर्थिक मुद्दों पर बैठकें चल रही हैं |
क्या ट्रंप की इस अपील पर अमल होगा? अगर ऐसा होता है तो चीन का अगला कदम क्या होगा? क्या दुनिया एक नए आर्थिक युद्ध की दहलीज पर खड़ी है? चीन ने साफ कर दिया है कि अगर अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ मिलकर यह कदम उठाता है, तो वह भी जवाबी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा | इस तनावपूर्ण स्थिति ने सभी की नजरें इस बात पर टिका दी हैं कि अगला कदम क्या होगा |
यह सिर्फ दो देशों की बात नहीं है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के भविष्य का सवाल है | क्या अमेरिका और उसके सहयोगी चीन पर दबाव बनाने में कामयाब होंगे? या फिर चीन का पलटवार एक और वैश्विक संकट को जन्म देगा?



