क्या आप जानते हैं कि नेपाल में आज 18 मौतों और 200 से ज़्यादा घायलों का जिम्मेदार कौन है? ये कोई राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि नेपाल का Gen-Z है। जी हाँ, वही नौजवान पीढ़ी जो सोशल मीडिया पर पली-बढ़ी है। इन युवाओं का गुस्सा इतना भड़क उठा है कि सरकार को 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जिनमें फेसबुक और इंस्टाग्राम भी शामिल हैं, पर बैन लगाना पड़ा है।
लेकिन क्यों? सरकार का कहना है कि ये कदम अफवाहों और साइबर अपराध को रोकने के लिए उठाया गया, लेकिन Gen-Z इसे अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला मानता है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि चीनी ऐप टिकटॉक इस बैन से बच गया। ऐसा कैसे हुआ? क्या यह महज इत्तेफाक है या फिर इसके पीछे कोई गहरी साजिश है?
वहीं, एक और चिंगारी ने इस आग को हवा दी है: नेपो किड्स। नेताओं के बच्चों की आलीशान जिंदगी और महंगी कारों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे, जबकि देश की आम जनता मुश्किलों से जूझ रही है। यह सीधा टकराव है: एक तरफ 1300 डॉलर सालाना कमाने वाला आम नेपाली, तो दूसरी तरफ नेताओं के बच्चे जो बेहिसाब दौलत लुटा रहे हैं।
इस पूरे आंदोलन को एक NGO, हामी नेपाल ने हवा दी है। इस संगठन ने Discord और Instagram जैसे प्लेटफॉर्म्स पर छात्रों को एकजुट किया, उन्हें विरोध प्रदर्शन के तरीके सिखाए और सरकार के खिलाफ एक नई आवाज को जन्म दिया। क्या यह सिर्फ एक सामाजिक संगठन है या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक मकसद है?



