बिहार की सड़कों पर आज एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली नाराज़गी, विरोध और गुस्से से भरी भीड़। सवाल ये है कि आखिर “मां” के सम्मान के नाम पर उठे इस तूफ़ान से किसका राजनीतिक गणित बदलने वाला है?
BJP ने बिहार बंद का ऐलान किया, और नतीजा, हर ज़िले में सड़कों पर प्रदर्शन, जगह-जगह नारेबाज़ी, धक्कामुक्की और पुलिस से झड़प। लेकिन असली कहानी सिर्फ़ सड़क पर नहीं, सियासत के गलियारों में लिखी जा रही है।
क्योंकि ये मुद्दा सीधे-सीधे महिला सम्मान से जुड़ता है। और बिहार की राजनीति में महिला वोट बैंक सबसे निर्णायक माना जाता है। क्या BJP का ये आंदोलन JDU की महिला वोटबैंक में सेंध लगाने की रणनीति है? या फिर ये सिर्फ़ एक इमोशनल कार्ड है जो आने वाले चुनावी रण में बड़ा हथियार बनेगा?
सवाल ये भी है कि क्या जनता इस आंदोलन को सच में “मां के सम्मान की लड़ाई” मान रही है, या इसे राजनीतिक स्क्रिप्ट समझकर खामोश रह जाएगी? बिहार बंद से BJP को जनता का साथ मिला या गुस्सा? और क्या JDU को अपने ही गढ़ में महिला समर्थन की दरार का डर सताने लगा है? आने वाले हफ़्तों में ये साफ़ होगा कि आज का सड़क का शोर, कल के चुनावी नतीजों का शंखनाद है या सिर्फ़ एक और राजनीतिक ड्रामा।



