प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को ‘दिवाली गिफ्ट’ का जो वादा किया था, वो अब पूरा हो गया है। जीएसटी काउंसिल ने एक बड़ा फैसला लेते हुए जीएसटी की दरों को पूरी तरह से बदल दिया है। अब जीएसटी के सिर्फ दो ही स्लैब होंगे – 5% और 18%। यह बदलाव ना सिर्फ आम आदमी की जेब में पैसे बचाएगा, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नई रफ्तार देगा। तो आइए समझते हैं, क्या है ये ‘जीएसटी 2.0’ और इसका आपकी जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में जीएसटी काउंसिल की बैठक में एक ऐतिहासिक घोषणा की है। जीएसटी के चार स्लैब 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत को घटाकर अब दो मुख्य स्लैबों में लाया गया है। 12% और 28% के स्लैब को खत्म कर दिया गया है। आम जरूरत की चीजें, जो पहले 12% या 18% के दायरे में आती थीं, वो अब 5% के स्लैब में होंगी। वहीं, जो चीजें 28% के स्लैब में थीं, वो अब 18% के स्लैब में आ गई हैं। हालांकि, एक नया 40% का लग्जरी स्लैब भी बनाया गया है, जिसमें तंबाकू, शराब और महंगी कारें शामिल हैं।
इस बदलाव से सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी को होगा। सोचिए, आपके घर का खर्च अब और कम हो जाएगा। दूध, पनीर, रोटी, घी, मक्खन, नूडल्स, और चॉकलेट जैसी चीजें अब पहले से काफी सस्ती मिलेंगी। हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर लगने वाला 18% जीएसटी भी अब खत्म हो गया है, जिससे इंश्योरेंस लेना अब सस्ता और आसान होगा। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की 33 जीवन रक्षक दवाएं भी टैक्स फ्री हो गई हैं।
सिर्फ ग्रोसरी ही नहीं, बड़े और महंगे सामान भी अब आपकी पहुंच में होंगे। 32 इंच से बड़े टीवी, एयर कंडीशनर, वॉशिंग मशीन, और 1500CC तक की छोटी कारें अब 28% की जगह 18% जीएसटी पर मिलेंगी। इससे एक AC खरीदने पर 2500 रुपये तक और एक बड़ी टीवी पर 3500 रुपये तक की बचत हो सकती है। अगर आप हर महीने 20,000 रुपये की ग्रोसरी पर खर्च करते हैं, तो आपकी जेब में हर महीने करीब 1000 रुपये बच सकते हैं। एक नए घर के निर्माण पर भी 50,000 रुपये तक की बचत हो सकती है।
लेकिन सवाल ये है कि सरकार ने ये फैसला अभी क्यों लिया? इसके पीछे सिर्फ आम आदमी को राहत देने की मंशा नहीं है, बल्कि एक बड़ी आर्थिक रणनीति है। दरअसल, अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हो रहा था। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कदम का मकसद घरेलू मांग को बढ़ाकर उस नुकसान की भरपाई करना है। जब सामान सस्ता होगा, तो लोग ज्यादा खरीदेंगे, जिससे घरेलू बाजार में मांग बढ़ेगी। ये कदम अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और रोजगार भी बढ़ाएगा।
पीएम मोदी ने खुद इसे दिवाली का तोहफा बताया है। इसका राजनीतिक फायदा भी हो सकता है, क्योंकि यह फैसला सीधे तौर पर मिडिल और लोअर-मिडिल क्लास को राहत देता है, जो बीजेपी का एक बड़ा वोट बैंक है।
ये बदलाव 22 सितंबर, 2025 से लागू होंगे। इसका मतलब है कि दिवाली और नवरात्र के फेस्टिव सीजन में लोग कम कीमत पर खरीदारी कर पाएंगे। हालांकि, कुछ सामान महंगे भी हुए हैं। पान मसाला, तंबाकू और लक्जरी सामानों पर अब 40% का नया स्लैब लगाया गया है। सरकार का कहना है कि रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स कम करने से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई इन लक्जरी और हानिकारक उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर की जाएगी। ये कदम ना सिर्फ अर्थव्यवस्था को गति देगा, बल्कि आम आदमी की जिंदगी को भी आसान बनाएगा।



