Online Gaming मस्ती का नहीं बल्कि मौत का मैदान बन चुका है। जी हाँ दोस्तों, Dream11, Fantasy Cricket जैसे मोबाइल गेम कई मासूमो की ज़िंदगी निगल रहा है? हालही में ग्वालियर के शिवपुरी जिले से ऐसा मामला सामने आया है। यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि ऐसे हादसों की गिनती अब डराने लगी है।
दरअसल, ग्वालियर के शिवपुरी जिले के 16 साल के छात्र विकेश रावत की मौत ने भारत में ऑनलाइन गेमिंग पर बहस फिर से छेड़ दी है। विकेश एक ऑनलाइन गेम में 35,000 रुपये हार गया। जिसके बाद सदमे में आकर विकेश ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी। दोस्तों यह सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक डरावनी सच्चाई है जो हमारे युवाओं को निगल रही है।
ऑनलाइन गेम्स का जाल युवाओं को नशे की तरह अपनी गिरफ्त में ले रहा है। ये गेम्स चमक-दमक, जीत का लालच और पैसे दोगुना करने का झांसा देते है लेकिनइसका नतीजा कर्ज़, बर्बादी और मौत मिलती है। इस घटना के बाद सरकार ने एक बड़ा और साहसिक कदम उठाकर संसद में एक सख्त बिल पास करवाया, जिसके तहत पैसे वाले या सट्टेबाज़ी जैसे ऑनलाइन गेम्स पर पूरी तरह रोक लगेगी। अगर कोई कंपनी इन्हें चलाती या प्रमोट करती पकड़ी गई, तो न सिर्फ़ लाखों का जुर्माना बल्कि जेल भी होगी।
लेकिन अब भी सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस कानून से विकेश जैसे मासूमों की जान बच पाएगी? क्या ड्रीम-11 जैसी बड़ी कंपनियों पर ताले लगेंगे या फिर वे अपना कारोबार जारी रखेगी? और क्या युवा अब इस डिजिटल जुए के जाल से बाहर निकल पाएंगे?
अब सबकी निगाहें राष्ट्रपति पर टिकी हैं। क्या उनकी मुहर लगते ही ऑनलाइन गेमिंग का ये खतरनाक खेल हमेशा के लिए बंद हो जाएगा? क्या यह कानून हमारे युवाओं को इस आर्थिक और मानसिक जाल से बाहर निकाल पाएगा? जवाब आने वाले दिनों में सामने होगा लेकिन फिलहाल सवाल यही है क्या गेम सच में सिर्फ गेम है या मौत का फंदा?



