क्या आपने कभी सोचा है कि कोई फिल्म सबसे पहले थियेटर में नहीं, बल्कि कोर्ट रूम में दिखाई जाए! जी हाँ दोस्तों, यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है, और वो भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जिंदगी पर आधारित फिल्म “अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी” के साथ।
इस फिल्म का सफर एक रहस्य बन गया है। सेंसर बोर्ड ने 29 आपत्तियां उठाकर इस फिल्म को पास करने से साफ इनकार कर दिया। लेकिन सवाल यह है कि आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है, जिसे लेकर सेंसर बोर्ड पीछे हट गया? क्या इसमें राजनीतिक विवाद के चिंगारी छुपी है या फिर किसी छवि को नुकसान पहुंचाने का डर? अब कोर्ट खुद स्क्रीनिंग करेगा और फिर तय करेगा कि यह फिल्म रिलीज होगी या नहीं!
अब इस मामले में एक नाटकीय मोड़ आ गया है। जजों ने खुद CBFC को फटकार लगाते हुए कहा कि आप प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों पर खरे नहीं उतरे। और अब कोर्ट के पास यह पावर है कि वह तय करे जनता तक यह फिल्म पहुंचेगी या नहीं। जज खुद देखेंगे कि ये फिल्म रिलीज के काबिल है या नहीं। यह एक अभूतपूर्व फैसला है, जो भारत के सिनेमा इतिहास में शायद ही पहले कभी हुआ हो।
25 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं। क्या यह फिल्म अदालत के शिकंजे से निकलकर बड़े पर्दे पर अपनी कहानी कह पाएगी, या फिर कोर्ट की फाइलों में ही कैद होकर रह जाएगी?



