क्या आपने कभी सोचा है कि दो पड़ोसी देश, जो एक ही समय आज़ाद हुए, आज इतने अलग हालात में क्यों खड़े हैं? दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा और गहरा फर्क क्या है?
एक ऐसा फर्क जिसे कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने चंद शब्दों में बयां कर दिया। आज हम उसी पर बात करेंगे। जी हाँ, एक ऐसा बयान जिसने पाकिस्तान की राजनीति और सेना के रिश्तों की पोल खोल दी है।
दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह। मंच पर थे कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर। माहौल शांत था, लेकिन तभी थरूर ने एक ऐसा बयान दिया जो पूरे देश में आग की तरह फैल गया। उन्होंने कहा, “भारत में देश की सेना है, लेकिन पाकिस्तान में सेना का देश है।” यह सिर्फ एक जुमला नहीं, बल्कि एक कड़वा सच था जो पाकिस्तान की हकीकत को उजागर कर रहा था।
थरूर ने आगे कहा, भारत में आप देश की रक्षा के लिए सेना में शामिल होते हैं, लेकिन पाकिस्तान में देश चलाने के लिए। क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी थी? या फिर एक ऐसा तीखा व्यंग्य जो दशकों से चले आ रहे भारत-पाक संबंधों के सार को दर्शा रहा था?
यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर है। वहां चुनी हुई सरकारें सेना की कठपुतली बनकर रह गई हैं। पिछले सात दशकों में कई बार तख्तापलट हुए हैं। पाकिस्तान की हर बड़ी राजनीतिक चाल के पीछे सेना का हाथ होता है।
लेकिन भारत में क्या है? यहां सेना संविधान के अधीन काम करती है। चाहे 1971 का युद्ध हो या कारगिल, हमारी सेना ने हमेशा राजनीतिक नेतृत्व के आदेश का पालन किया है। यहां लोकतंत्र की जड़ें इतनी गहरी हैं कि कोई भी शक्ति इसे हिला नहीं सकती।
क्या थरूर का यह बयान सिर्फ एक कटाक्ष है? या यह भारत के लिए एक गर्व का क्षण है, जो दिखाता है कि हम अपने लोकतंत्र और अपनी सीमाओं को कितनी गंभीरता से लेते हैं? यह सवाल आज हर भारतीय के मन में है।



